मैं तुम्हें जब जब देखती थी तब तब एक नई ... ऊर्जा के साथ देखती थी तुम्हें देखकर मेरे मन के सागर में अनन्त हिलोरे उमड़ने लगती थी तुमसे बात करना वो....उन दिनों बहुत ही अच्छा लगता था आज भी तुम्हारी यादों में खोकर वो मदमस्त गोते लगाना बड़ा ही सुकूँ देता है मानो सारी क़ायनात मेरी आँचल में आ समा गया हो जिसे मैं समेट लेना चाहती हूँ पिरो लेना चाहती हूँ हर एक एक लम्हें को अपने रूह में कैदकर जीना चाहती हूँ क्योंकि दिल को बहुत अच्छा लगता है तुम्हारी हर शरारतें, तुम्हारी वो चंचल आँखे जिसमें मेरी ही सूरत बसी है यह सब देख कर अनुभव कर मन ही मन खूब इतराती हूँ स्वच्छन्द हो खुद में हवा के झोंको सी मैं खूब बलखाती हूँ अधरों से तेरे नाम की हर एक गीत गुनगुनाती हूँ आज भी बस एक तुझे ही याद कर हर कोरे पन्ने पर तेरी यादों की सतरंगी छाप बेबाक हो लिखती हूँ हर शब्दों को बस तेरे ही नाम करती हूँ... तेरे लिए ही बन अंजली हर दुःख को सह कर हँसती हूँ।। अंजली श्रीवास्तव तेरी यादेँ