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|| श्री हरि: || 62 - भोला श्याम 'कनू तेरा पटुका क

|| श्री हरि: ||
62 - भोला श्याम

'कनू तेरा पटुका कहाँ गया? ' दाऊ ने देखा कि उसके छोटे भाई के कंधे पर पीतपट नहीं है। यह कन्हाई की कोई नयी बात नहीं।

एक मुरलिका तो इसे प्राणों से प्यारी है। उसे फेट में खोंसे रहेगा, हाथ में लिये रहेगा, कांख में दबाये रहेगा। सोते समय भी उसे पास में सम्हाल कर रखेगा। किंतु दूसरी सब वस्तुएं-पटुका, वेत्र, श्रृंग, माला आदि जहां चाहे वहां डाल देगा और भूल जायगा। दाऊ को ही इसकी वस्तुओं का ध्यान रखना पडता है।

'हूं!' श्याम ने अपने वक्ष की ओर देखा। इसे अब तक यही पता नहीं कि पटुका कंधेपर नहीं है। फिर दोनों हाथ फैलाकर एक बार बड़े भाई की और देखकर यह ऐसे हंस पडा - 'अरे, वह तो खो गया।'
anilsiwach0057

Anil Siwach

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|| श्री हरि: || 62 - भोला श्याम 'कनू तेरा पटुका कहाँ गया? ' दाऊ ने देखा कि उसके छोटे भाई के कंधे पर पीतपट नहीं है। यह कन्हाई की कोई नयी बात नहीं। एक मुरलिका तो इसे प्राणों से प्यारी है। उसे फेट में खोंसे रहेगा, हाथ में लिये रहेगा, कांख में दबाये रहेगा। सोते समय भी उसे पास में सम्हाल कर रखेगा। किंतु दूसरी सब वस्तुएं-पटुका, वेत्र, श्रृंग, माला आदि जहां चाहे वहां डाल देगा और भूल जायगा। दाऊ को ही इसकी वस्तुओं का ध्यान रखना पडता है। 'हूं!' श्याम ने अपने वक्ष की ओर देखा। इसे अब तक यही पता नहीं कि पटुका कंधेपर नहीं है। फिर दोनों हाथ फैलाकर एक बार बड़े भाई की और देखकर यह ऐसे हंस पडा - 'अरे, वह तो खो गया।' #Books

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