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बुन रहे थे जो स्वप्न... आजादियों के बचपन से, आज, क

बुन रहे थे
जो स्वप्न...
आजादियों के
बचपन से,
आज,
कैद हो गये
हम___
उसी आजादी के
जाले में||

©Prabhat Kumar Gautam #MereKhayaal
#hindi_poetry 
#missmygoldendays
बुन रहे थे
जो स्वप्न...
आजादियों के
बचपन से,
आज,
कैद हो गये
हम___
उसी आजादी के
जाले में||

©Prabhat Kumar Gautam #MereKhayaal
#hindi_poetry 
#missmygoldendays