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अब तो तनिक भी संकोच नहीं होता। देखकर इन लाशों के ढ

अब तो तनिक भी संकोच नहीं होता।
देखकर इन लाशों के ढेर को।
क्योंकि यही तो हैं चंद सियासत गरदो की, कामयाबी की सीढि़यां।
इन्सानियत को बेवजह मिली है मौत।
कहती आईं हैं, सदियों से पीढ़ियां।
#5LinePoetry

©Ramgopal Singh देखकर इं लाशों के ढेर को।
अब तो तनिक भी संकोच नहीं होता।
देखकर इन लाशों के ढेर को।
क्योंकि यही तो हैं चंद सियासत गरदो की, कामयाबी की सीढि़यां।
इन्सानियत को बेवजह मिली है मौत।
कहती आईं हैं, सदियों से पीढ़ियां।
#5LinePoetry

©Ramgopal Singh देखकर इं लाशों के ढेर को।