खुद की मैं हूँ पककी सहेली जिसको कोई न बूझ पाये, वो पहेली भीड़ में भी मैं होती हूँ अकेली कभी-कभी आसुओं से करती हूँ अपनी आंखें गीली हवा का रूख मुझे उड़ा ले, मैं नहीं हूँ रेगिस्तान की जमीन रेतीली | अक्सर मैं चलती हूँ उन रास्तो में जहाँ जमीन होती कंकरीली | हाॅं थोड़ी सी मैं हूँ शर्मीली | लेकिन मेरी जिंदगी है बहुत रंगीली | क्यों की मैं हूँ ही एकदम अलग अलबेली | RY ©raksha yadav मैं हूँ अलबेली..... #selflove❣️ 28/09/2021