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घर की लक्ष्मी आज बेटियों, की इज्जत अब घायल है।। क

घर की लक्ष्मी आज बेटियों,
की इज्जत अब घायल है।। 
कभी द्रौपदी, आज निर्भया,
की लुटती अब पायल है।। 
ना-मर्दों की टोली ने है,
एक प्रियंका जला दिया।। 
धन की खातिर पढ़े-लिखों ने,
बहू को जिंदा सुला दिया।। 
न जाने कितनों की अब,
तेजाब से पीड़ित काया है
मानव-मानव शत्रु बने, 
मानवता-तरु कुम्हलाया है।। 

@poetryofsoul

©Shashank मणि Yadava "सनम"
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