देखा है चींटी के साहस को लगातार अभ्यासरत है, चिड़िया नन्ही सी चोंच से चुग चुग दाना प्रयासरत्त है, ले साहस और अभिप्रेणा सूक्ष्म विशालकाय हौसलों से , जगा अंतर्मन की दिव्यज्योति को जो कि अनवरत है, हज़ार बार गिरोगे, गिर कर सम्भल जाना,प्रयत्न करते रहो, आयेगी बाधा,रोकेंगी रास्ता,पथिक की भांति आगे बढ़ते रहो, 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-58 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।