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तुम भी मेरी तरह कभी जीकर देखो न, दिन व रात को कभी

तुम भी मेरी तरह कभी जीकर देखो  न,
दिन व रात को कभी इक करके देखो न।

बड़ा आसान लगता है ,यूँ ही कह देने  में,
हमारे चश्में से कभी किताब पढ़के देखो न।

तुम जो सवाल खड़े करते हो मिरी पढ़ाई पे,
कभी तुम मिरा इक इम्तिहान  देकर देखो न।

यूं ही नहीं बनता कोई आई.ए.स.,इंजी.या डाँ,
हमारे इक पहर से अपनी रात बदलके देखो न।

तुम क्या समझगो मिरे माता-मिता के संघर्ष को,
पिता के फटे पैर व माँ की सूखी कलाई देखो न।

©कच्ची कलम -"राख" *************🌷**********

तुम भी मेरी तरह कभी जीकर देखो न,
दिन व रात को कभी इक करके देखो न।

बड़ा आसान लगता है ,यूँ ही कह देने में,
हमारे चश्में से कभी किताब पढ़के देखो न।

*************🌷********** तुम भी मेरी तरह कभी जीकर देखो न, दिन व रात को कभी इक करके देखो न। बड़ा आसान लगता है ,यूँ ही कह देने में, हमारे चश्में से कभी किताब पढ़के देखो न। #keepsupporting #studentslife #ignorepeople #nocommentsplz #pointstoberememberinlifetobehappy

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