धीरे धीरे जिंदगी का ये सफ़र गुजर रहा है, एक कारवां जिंदगी में यूं ही बसा जा रहा है, हर डगर जिंदगी की नई कहानी शुरू हो रही है, कभी खट्टी, कभी मीठी यादें इस दिल में आ रही हैं,। धीरे धीरे ना जाने क्यूं कुछ अपने बेगाने हो रहे हैं, ना जाने कैसे कुछ बेगाने इस दिल में बस रहे हैं, खामोशियां लफ्जों में है, भाव चेहरे में दिख रहे हैं, पर्दे से ढके कुछ दोहरे चेहरे अब बेपर्दा हो रहे हैं । धीरे धीरे मौसम तरह जिंदगी अपना रूप बदल रही है, गुजरा बचपन तो, अब जवानी भी जिंदगी की ढल रही है, धूप छांव सी ना जाने कैसा खेल ये जिंदगी खेल रही है, हसरतें ना जाने कैसी अब भी इस दिल में समा रही हैं, ख्यालों ख्वाबों में अब भी धीरे धीरे जिंदगी गुजर रही है। ©Dayal "दीप, Goswami.. #Twowords RAVINANDAN Tiwari Ritika Ranjan