ना मिलने का उतावलापन ना बिछुड़ने का विलाप एक प्रीत रूहानी सी एक मोहब्बत रुहानी सी मन की लगन रुहानी सी गर रात को सपने में भी दिख जाए तो दिनभर न उतरे सुरुर जिसका मन को लग जाते हों पंख जैसे उड़ के प्रेम के नगर में घूम आए हज़ार गिले शिकवों को भूलकर एक आवाज पे दौड़ी आए एक प्रीत रुहानी सी मन की लगन रुहानी सी बेगानी सी दुनिया को अपना सा बनाती एक मोहब्बत रुहानी सी नमस्कार लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳