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गद्दारों को मारना तब बहुत जरूरी है जब दीप को सताये

गद्दारों को मारना तब बहुत जरूरी है
जब दीप को सताये तम की मजबूरी है
सामने आपके गर साँप है,उसे छोड़ दो,
पहले गद्दारों पर लाठी मारना जरूरी है

साँप तो एक बार ही हमको डसता है,
एक गद्दार,अगणित सांपों का हुजूरी है
तिरंगे को भी देते है,ऐसे लोग गाली,
क्या ऐसे गद्दारों को रखना जरूरी है?

मुक्त करो भारत मां को इन गद्दारों से,
इनके दमन से खिलेगी बगिया पूरी है
शूल होते तो में इन्हें माफ भी कर देता,
नासूर को जड़ से हटाना बेहद जरूरी है

हिंद की धरती तब ही बनेगी कोहिनूरी है,
जब गद्दारों पे तलवार चलेगी पूरी है
देश के सिपाहियों को जिन्होंने न छोड़ा,
क्या वो किसान आंदोलन की धुरी है?

मिटा दो नामोनिशान ऐसे देशद्रोहियों का,
जिनसे कृष्ण हो मां का चोला सिंदूरी है
किसान आंदोलन आड़ में रोटी सेक रहे,
वो सुने तुम्हे मिलेगी सज़ा बहुत बुरी है

असल किसान है,वो देश का अभिमान है,
वो शांति से हल करेंगे समस्या पूरी है
पर गद्दारों को अपने बीच न आने दो,
ये पूरे कुँए में जहर घोल देंगे खूनी है

सर्तक रहे मेरे देश के सभी किसान,
कोई न ताने,तेरे कंधे पे बंदूक खालिस्तान
मत आने दो उन गद्दारों को आंदोलन में,
जिनसे रो रही मेरी भारत माँ बहुत बुरी है

अंत मे सब देशवासियों से मेरी प्रार्थना है,
गद्दारों को मत दो कभी तुम पनाह है
जहां दिखे उन्हें समूल ही मिटा दो,
इन्हें तनिक भी मत दो हिंद में बांह है

देशद्रोहियों से मुक्त होने पर ही हिंद जमीं,
फिर से बनेगी राम-राज्य जैसी सुनहरी है

दिल से विजय गद्दारों को मारना जरूरी
गद्दारों को मारना तब बहुत जरूरी है
जब दीप को सताये तम की मजबूरी है
सामने आपके गर साँप है,उसे छोड़ दो,
पहले गद्दारों पर लाठी मारना जरूरी है

साँप तो एक बार ही हमको डसता है,
एक गद्दार,अगणित सांपों का हुजूरी है
तिरंगे को भी देते है,ऐसे लोग गाली,
क्या ऐसे गद्दारों को रखना जरूरी है?

मुक्त करो भारत मां को इन गद्दारों से,
इनके दमन से खिलेगी बगिया पूरी है
शूल होते तो में इन्हें माफ भी कर देता,
नासूर को जड़ से हटाना बेहद जरूरी है

हिंद की धरती तब ही बनेगी कोहिनूरी है,
जब गद्दारों पे तलवार चलेगी पूरी है
देश के सिपाहियों को जिन्होंने न छोड़ा,
क्या वो किसान आंदोलन की धुरी है?

मिटा दो नामोनिशान ऐसे देशद्रोहियों का,
जिनसे कृष्ण हो मां का चोला सिंदूरी है
किसान आंदोलन आड़ में रोटी सेक रहे,
वो सुने तुम्हे मिलेगी सज़ा बहुत बुरी है

असल किसान है,वो देश का अभिमान है,
वो शांति से हल करेंगे समस्या पूरी है
पर गद्दारों को अपने बीच न आने दो,
ये पूरे कुँए में जहर घोल देंगे खूनी है

सर्तक रहे मेरे देश के सभी किसान,
कोई न ताने,तेरे कंधे पे बंदूक खालिस्तान
मत आने दो उन गद्दारों को आंदोलन में,
जिनसे रो रही मेरी भारत माँ बहुत बुरी है

अंत मे सब देशवासियों से मेरी प्रार्थना है,
गद्दारों को मत दो कभी तुम पनाह है
जहां दिखे उन्हें समूल ही मिटा दो,
इन्हें तनिक भी मत दो हिंद में बांह है

देशद्रोहियों से मुक्त होने पर ही हिंद जमीं,
फिर से बनेगी राम-राज्य जैसी सुनहरी है

दिल से विजय गद्दारों को मारना जरूरी