हिंदी दिवस ********* मौका था हिंदी दिवस का लेकिन बिडंबना की हिंदी घबराई हुईं हैं लग रहा था सब औपचारिकता हैं और डरी सहमी हिंदी कह रही थी छोड़ो न मुझे याद करना बोली मैं रहूँगा अभी लबे समय थोड़ी कमजोर सी गिरती पड़ती अपाहिज़ सी बाजार से दूर कसबो मे गांव जवार मे सरकारी स्कूलों मे हा यादो मे ©ranjit Kumar rathour हिंदी दिवस