Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं बेढंगा सा रैप गढ़ा, तुम शीतल-संगम भजनों का। मैं

मैं बेढंगा सा रैप गढ़ा,
तुम शीतल-संगम भजनों का।
मैं मयखानों में बजता हूँ,
तुम पावन सरगम स्वजनों का।।

प्रस्तुत है रचना;

"प्रेमातिरेक"
भाग - ३

भाग - १  व  भाग - २, प्रोफाइल में दिया गया है,,
पढ़ने के इच्छुक मुझे बता दें तो मैं tag कर दूंगा...☺☺

पूर्ण रचना अधोलिखित भाग में पढ़ें। 

👇👇👇👇👇👇👇👇 "प्रेमातिरेक"
भाग - ३

मैं मई-जून की गर्मी हूँ,
तुम ठंडा मौसम सावन का।
मैं पतझड़ जैसा निर्झर हूँ,
तुम माह बसन्ती छावन का।।
मैं बेढंगा सा रैप गढ़ा,
तुम शीतल-संगम भजनों का।
मैं मयखानों में बजता हूँ,
तुम पावन सरगम स्वजनों का।।

प्रस्तुत है रचना;

"प्रेमातिरेक"
भाग - ३

भाग - १  व  भाग - २, प्रोफाइल में दिया गया है,,
पढ़ने के इच्छुक मुझे बता दें तो मैं tag कर दूंगा...☺☺

पूर्ण रचना अधोलिखित भाग में पढ़ें। 

👇👇👇👇👇👇👇👇 "प्रेमातिरेक"
भाग - ३

मैं मई-जून की गर्मी हूँ,
तुम ठंडा मौसम सावन का।
मैं पतझड़ जैसा निर्झर हूँ,
तुम माह बसन्ती छावन का।।