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कठिन परिश्रम पर जब काला काला बादल आकर बूंदा बूंदी

कठिन परिश्रम पर जब

काला काला बादल आकर
बूंदा बूंदी बरसाता है
तपता धरती आसमान का
तपीश दूर कर देता है।।

पेड़ पक्षी और पशु को
उत्साहित कर देता है
हरि हरि चारों दिशाएं
तनमन प्रफुल्लित कर देता है।।

पर जब यही बारिश
समय-असमय हो जाता है
लह लहाती फसलों को यह
नुकसान कर देता है।।

तब जाकर प्रकृति से
शिकायत यही हो जाता है
किस पाप का दोष हमारे
माथे मड़ जाता है।।

नुकसान हमारा जो होना था
वह तो हो जाता है
पर हमारे बघिर जनों का
आहार छीन जाता है।।

सालों सालों का मेहनत
दो पल में आंसू ला देता है
कठिन परिश्रम पर जब
पानी फेर देता है।।

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कठिन परिश्रम पर जब

काला काला बादल आकर
बूंदा बूंदी बरसाता है
तपता धरती आसमान का
तपीश दूर कर देता है।।

पेड़ पक्षी और पशु को
उत्साहित कर देता है
हरि हरि चारों दिशाएं
तनमन प्रफुल्लित कर देता है।।

पर जब यही बारिश
समय-असमय हो जाता है
लह लहाती फसलों को यह
नुकसान कर देता है।।

तब जाकर प्रकृति से
शिकायत यही हो जाता है
किस पाप का दोष हमारे
माथे मड़ जाता है।।

नुकसान हमारा जो होना था
वह तो हो जाता है
पर हमारे बघिर जनों का
आहार छीन जाता है।।

सालों सालों का मेहनत
दो पल में आंसू ला देता है
कठिन परिश्रम पर जब
पानी फेर देता है।।

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laxmanswami4231

laxman swami

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