हम जानते हैं शायद या जानते नहीं, क्यों कह देते हो आप कभी कभी; बातों को अनसुना कर, "अभी नहीं" READ FULL POETRY IN CAPTION BELOW यह त्रासदी है या वक्त का फेर, के बिछड़ना किसी को गवारा नहीं होता । कुछ इसी तरह एक बुजुर्ग पति अपनी भार्या से चर्चा जब करता है, के उसे कैसे सुकून मिले । चंद शब्दों में बयां करूँगा, गौर फरमाएं : अभी नहीं हम जानते हैं शायद या जानते नहीं, क्यों कह देते हो आप कभी कभी;