सत्ताधारी "खाप" (In Caption) विरोध और आक्रोश की गूंज टकराई बहरे कानों से, कुछ हुआ है क्या? नहीं कुछ नहीं । आप तो हर शाम स्वयं के बनते परिहास का आनंद लिजिए, बड़ी जतन से लाई जाती हैं वो आपके लिए। पर दूर के इस कोलाहल को अनदेखा कैसे किया जाए? अरे मियां! वो कुछ नहीं