बुने हुए सपने , बुनी हुई यादो का मल्हार, कोयल की बोली में शुरु हुआ गुड़ी का त्यौहार| मीठे-मीठे पकवानों से सज़ा रसोई का द्वार, मीठे अरमानों से किया नये वर्ष का श्रंगार. स्वच्छ निर्मल आसमान में उड़ती पतंग, नए जीवन की उड़ान में भी हो वही तरंग. कल-कल छल-छल कर रहा नदी का जल, ऐसे ही निर्मल बीते नव वर्ष का हर पल. #गुड़ी पड़वा और #नव वर्ष की हार्दिक बधाई ©पूर्वार्थ #गुड़ी_पड़वा #नववर्ष