झूठ झूठ को मेल,सच को सच ज्यों मिलाप| झूठ सच मेल नहीं,कह सांची सच अब आप|| प्रेरणा दोहा - जल में बसे कमोदिनी चंदा बसे आकाश जो है जाको भावता,सो ताही के पास कबीर साहब- जो भाव के मर्म तक पहुंचे तो सूचित अवश्य कीजियेगा🙏😊💐 सोरठा - दोहा का ठीक विपरीत एक छंद.. सम विषम चरण - 13,11