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कौन किसके लिये रोता है सबका अपना-अपना दुख होता है

कौन किसके लिये रोता है
सबका अपना-अपना दुख होता है

जा रही हो अर्थी किसी की
कौन रुककर उसे अपना कंधा देता है

दावे तो सब करते हैं बड़े बड़े
कौन आखिरी सांस तक साथ देता है

हम समेटते रहे सबके दर्द अपने सीने में
कौन यहां दर्द हमारे ख़ुद में समेटता है !!

©Anjali Nigam
  #अपना_दर्द