अदा ~~~ न देखा पलट के उन्होंने जरा दिल को भा गयी उनकी ये अदा। किस कदर बेरुखी से हुए वो जुदा खुदा जाने हमसे हो गयी क्या खता। बेचैनियाँ कहें हम किस से भला उनके सितम से दिल है कितना जला। आदत है यक ब यक होना खफा मान जाते हैं प्यार से मना लो जरा। मंजूर "राशिद" को ज़माने की जफा ये नामुमकिन है कि करें न उनसे वफा। *राज"