मुर्दों के शहर में आज फिर से तारे चमकने लगे है। कुछ गलतियां अब गलत फैमिया बन गई हैं और कुछ कहानियां दासता। जंग तो अब छेड़ चुकी हैं, बस्स फर्क इतना है, अन्दर दिल में होती है,तो कभी बाहर समाज में। मगर दर्द बराबर का है दोनों तरफ। हर तरफ अहिंसा के नाम पर हिंसा है, बस्स फर्क इतना है कभी अपनों से है, अपनों के लिए तो कभी परायो से। हर तरफ आग जल रही है, कभी भूक मिटाने के लिए तो कभी भूको को मिटाने के लिए। मगर यह आग जलनी चाहिए मेरे सीने मे या तेरे सीने में कोई फर्क नहीं पड़ता। आतंक पर तमाशा मचाया हुआ था और आतंक वादियों पर धर्म का साया था। कुछ थे जो खुद को पाने के लिए नसीब आजमा रहे थे और कुछ थे की जो नसीब को आजमाने के लिए खुद को पाना चाहते थे। दर्द हर तरफ था साहब ,मगर सब इतने नसीब वाले कहा थे जो सब को बराबर मिल सके। ©ACP Tushar Burkul #story,#life #dekhi an dekhi #Hopeless