साथ तेरा …. ये दिल तुझे एक आवाज तो हम भी देंगे .. पर लफ्ज से कुछ न कहेंगे … ये हुनर तुझे ही ढूँढना होगा …. मेरे दिल को तुझे खामोशियो में ही समझाना होगा …! सात जनम न सही इस पल तो साथ देना होगा … हु मैं एक ख्वाब सा … आउंगी तेरे पास रातो में ही … फिर मैं सुबह नजर न आ पाऊँगी … मुझे रातो से दूर जाने से तुझे ही रोकना होगा …! सात जन्म न सही इस पल तो साथ देना होगा … यु तो मेरा दिल किसी पे आता नहीं … पर एक तू ही है जो दिल से निकल पता नहीं … चाहत हो गई मेरी तुझे हमेशा चाहते रहने की … पर मेरे इस एहसास को तुझे ही पढ़ना होगा …. सात जन्म न सही इस पल तो साथ देना होगा … नाराजगी में रूठ जाया करूंगी मैं तुझ से … पर तेरे नाम को मन में दुहराया करूंगी … हक़ होकर भी तुझ पे हक़ न जताऊँगी … प्यार किस कदर करती हु ये न बताउंगी … मेरे प्यार के दामन को तुझे ही थामना होगा … सात जन्म न सही इस पल तो साथ देना होगा …. मेरी दुनिया सुरु और ख़तम भी तुझ से होगी … बात तेरे संग और तेरी ही होया करेगी …. कभी तुम मेरे बाहों में कभी मैं तेरी बाहों में … हम तो इशारो ही इशारो में बाते किया करेंगे … पर उन बातो का फ़साना तुझे ही सुरु करना होगा … सात जन्म न सही इस पल तो साथ देना होगा… तेरे संग मेरा साथ एक पल का नहीं सदियों का होगा .. फसलों में भी ये प्यार न कभी काम होगा … तेरे नाम का जिक्र हर लफ्ज में किया करुंगी … अगर जो इन्तजार करना पड़ा तो सारी उम्र कर लुंगी … पर मेरे इन्तजार को तुझे ही ख़तम करना होगा … सात जन्म न सही इस पल तो साथ देना होगा ….. मैं अपनी हर साँसों में तुझे बसा लुंगी … तेरे नाम को ही अपना दे दूंगी … तेरी मंजिल को ही अपना मैं बना लुंगी … तेरा दर्द तेरे गम मेरा होगा … जयादा प्यार मैं कर लुंगी .. पर तुझे थोड़ा प्यार मुझे भी करना होगा … सात जन्म न सही इस पल तो साथ देना होगा …