Unsplash कभी कभी मैं खुद का हिसाब करता हूँ, और खुद को हारा हुआ पाता हूँ। हर चीज़ से हारा। पर मैं रोता नहीं हूँ, बस सोचता हूं - इतनी गलतियां तो मेरी थी भी नहीं, जितना मैं हार गया हूं। बस एक उम्मीद है कि आएगा एक दिन, जिस दिन हिसाब होगा, सही वाला हिसाब, और मुझे मेरे हिस्से की जीत मिलेगी। ,, ©SK Sharma #Book