part 2"तुम बिन " लब पे हर सूँ होता है तेरा नाम, कैसे भेजूँ तुझे मोहब्बत का पैगाम तुमने ही तो मुझे इश्क़ करना सिखाया था मोहब्बत क्या चीज है मुझको बताया था ग़र कोई खता हो मुझे माफ करना तुम सारे गिले -शिकवे दिल के सनम साफ करना तुम, दूर रह के इक दूसरे से न हम जी सकेंगे और न तुम जी सकोगे, तो फिर दिल के फासले व तन्हाईयाँ मिटाते क्यूँ नहीं............................ हम जानते है कि तुम नहीं हो बेवफ़ा, फिर जाने क्यूँ हो गए, तुम मुझसे यूँ खफा........प्यार में तकरार मोहब्बत का ही नाम है तेरे लिये ही तो मेरी सुबह व शाम है तू ही मेरा खुदा है.... करती हूँ तेरा सजदा आ जाओ जिंदगी में, हो जाओ. मुझ पे मेहरबाँ ........................... "तुम बिन " अधूरी है, मेरी जिंदगी की दास्ताँ मालूम नहीं पता ढूँढूँ तुझे कहाँ प्यासे को केवल है साहिल का ही सहारा ग़र नदियाँ नहीं हैं तो न होगा किनारा ........ तो फिर प्यार की शबनम मुझ पे बरसाते क्यूँ नहीं छुपाते क्यूँ हो बताते क्यूँ नहीं part 2#तुम बिन