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28/01/2021 बड़े दिनों के बाद उससे बात हो गई। उजड़ी

28/01/2021
बड़े दिनों के बाद उससे बात हो गई।
उजड़ी हुई दुनिया आबाद हो गई।

कैसा सुकून छा गया फिज़ा में सब तरफ,
तन्हाइयों के शोर से निजात हो गई।

मलाल उसके जाने का हमको ही था बस,
हवाएं भी उसके आने से दिलशाद हो गई।

न जाने कौनसा गुरुर हमपे तारी था,
वो सबक दिया ज़िंदगी उस्ताद हो गई।

अहल ओ अयाल ने मुझे जब छोड़ ही दिया,
उसके दीद की तिशनगी ऐजाज़ हो गई।

खाना बदोश से जिए जा रहे थे हम,
गुलशन हुई ज़िंदगी आबाद हो गई।

बरसों बरस गुज़र गए मुन्तजिर थे हम,
आख़िर हिसाम उनसे मुलाक़ात हो गई।


निजात = छुटकारा,      मलाल = अफ़सोस
दिलशाद = ख़ुश,         तारी = सवार
उस्ताद = गुरु,             अहल ओ अयाल = परिवार, कुनबा
दीद = दर्शन,              तिष्नगी = प्यास
ऐजाज़ = आशीर्वाद,    खाना बदोश = घुमक्कड़
मुंतजिर = इंतज़ार में

©✍️Hisamuddeen Khan 'hisam' #WallTexture#shayarri#lovelife Mere bol  Antima Jain Adhury Hayat komal sindhe Anayatullah Batt officials
28/01/2021
बड़े दिनों के बाद उससे बात हो गई।
उजड़ी हुई दुनिया आबाद हो गई।

कैसा सुकून छा गया फिज़ा में सब तरफ,
तन्हाइयों के शोर से निजात हो गई।

मलाल उसके जाने का हमको ही था बस,
हवाएं भी उसके आने से दिलशाद हो गई।

न जाने कौनसा गुरुर हमपे तारी था,
वो सबक दिया ज़िंदगी उस्ताद हो गई।

अहल ओ अयाल ने मुझे जब छोड़ ही दिया,
उसके दीद की तिशनगी ऐजाज़ हो गई।

खाना बदोश से जिए जा रहे थे हम,
गुलशन हुई ज़िंदगी आबाद हो गई।

बरसों बरस गुज़र गए मुन्तजिर थे हम,
आख़िर हिसाम उनसे मुलाक़ात हो गई।


निजात = छुटकारा,      मलाल = अफ़सोस
दिलशाद = ख़ुश,         तारी = सवार
उस्ताद = गुरु,             अहल ओ अयाल = परिवार, कुनबा
दीद = दर्शन,              तिष्नगी = प्यास
ऐजाज़ = आशीर्वाद,    खाना बदोश = घुमक्कड़
मुंतजिर = इंतज़ार में

©✍️Hisamuddeen Khan 'hisam' #WallTexture#shayarri#lovelife Mere bol  Antima Jain Adhury Hayat komal sindhe Anayatullah Batt officials