#दमड़ी चमड़ी से ज्यादा इंसान दमड़ी को प्यार करता है। इस दमड़ी के खातिर वह अपनी चमड़ी काली करता है। भूख-नींद त्याग कर दिन-रात एक करता है। मगर पाकर दमड़ी वह घमंडी-नशेड़ी बन जाता है। दमड़ी से जेब भरता है भाव तेज करता है। दमड़ी के दम पर औरों को अपमानित करता है। दम निकलने तक दमड़ी का लोभ नहीं छोड़ता है। इसी दमड़ी के लिए वह अपनों को भी छलता है। झूठ-पाखंड ही क्या अगर वश उसका चले तो वध किसी का करने से भी नहीं डरता है। पर प्राण जब निकलते हैं दमड़ी यहीं छोड़ वह नर चला जाता है। संग्रहित सारी उम्र की दमड़ी पीछे वालों को लड़ने को छोड़ जाता है। ©Suraj Sharma #दमड़ीसेप्यार #जीवन #सूरजशर्मामास्टरजी #मेरी_कविता #प्रेरक