White सुना है ,,तलाश करती हो मुझे अब भी ,,,,अब भी तुम मेरा कितना ख्याल करती हो ।। अरे मैं चोट खाकर गुमनाम हो जाऊं,,मर्जी थी तुम्हारी ,,,फिर तुम कैसा मलाल करती हो ।। पूछती हो मैं टूटा टूटा क्यों फिरता हूं,,ये तुम कैसा सवाल करती हो ,, पत्थर हाथ में लेकर निशाना ढूंढ रही हो ,,तुम भी कमाल करती हो ।। जानता हूं,,एक अरसे से तुम खेली नहीं ,,तुम्हे खिलौना चाहिए ,,,और ये भी जानता हूं,,खेलने के बाद तुम कितना बुरा हाल करती हो ।। # आहिस्ता आहिस्ता खींचती हो तुम बाजुओं में ,,आहिस्ता आहिस्ता कैसे हलाल करती हो ।। पत्थर हाथ में लेकर निशाना ढूंढ रही हो,,,तुम भी कमाल करती हो । सुना है तलाश करती हो मुझे अब भी ।। ©#शून्य राणा #हलाल #सवाल #मलाल विवेक ठाकुर 'शाद' katha (कथा ) नीर