भारत के वामपंथी कार्ल मार्क्स लेनिन स्टॉल और महाराणा तो तुम जैसे विदेशी कम्युनिस्ट नेताओं को यह सब कुछ मानते हैं उनकी पार्टी दफ्तरों ही सब कुछ मानते हैं फ्रॉड मेल ब्लैक को छोड़कर मैं कभी महात्मा गांधी नेता सुभाष चंद्र बोस भगत सिंह दुखीराम बोस चंद्रशेखर आजाद जैसे स्वाधीनता के महानायक को की तस्वीर नहीं दिखाई देते यहां तक कि वामपंथी के कई कार्यक्रम में सभा के लेजा पोस्टर बैनर होर्डिंग लगाई जाती है तो उनमें से महानायक की तस्वीर नहीं होती मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडियन माकपा ने तो कभी अपने दफ्तरों में स्वतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज तक नहीं कराया था पहली बार बीते 15 अगस्त में माइक बने देश भर में अपनी पार्टी दफ्तर में तिरंगा फहराया जपा नेता सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर में शामिल कर उनके प्रति प्रेम जी के साथ दशक बाद को राष्ट्रवादी बताते क्यों नहीं तेरा नेताजी सुभाष चंद्र बोस और प्रेम देखने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है इसका सीधा सा उत्तर है कि पिछले करीब 7:30 बजे मोदी ने देश की राजनीति की दिशा बदल दी है इसके बाद साम्यवाद और धर्मनिरपेक्षता के सारे दर्शकों से वोट बैंक की सियासी फसल काटने वाले दलों को राष्ट्रवाद की राह पर चलने की मजबूरी होना पड़ा रहा है किरण को छोड़कर पूरे देश में वाम दलों का नेतृत्व करने वाली माकपा की दिशा में तो भी दयानिधि है ©Ek villain #तरंगों के बाद वामपंथियों के नेता जी प्रेम #Nofear