वो बचपन की यादें,मुझे रुला रही है मां मुझे थपकी देकर, सुला रही है बहन नन्हे हाथों से, खाना खिला रही है मां की मिट्ठी लोरी सुनाई दे रही है पापा की पीठ पर उछलने की चाहत, आज भी हो रही है भईया की डांट आज भी समझा रही है वो बचपन की यादें,मुझे रुला रही है suru ji🙏 jawani dhal jaegi mere Yaar 🙏🙏