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कुछ संवर रहे रिश्ते, कुछ बिखर रहे हम..! किसी की आ

कुछ संवर रहे रिश्ते,
कुछ बिखर रहे हम..!

किसी की आँखों में ख़ुशी के आँसू,
किसी के जीवन में छाया ग़म..!

कोई निकला ईमान का पक्का,
कोई निकला बेवफ़ा सनम..!

कोई मौत पाने को आतुर,
कोई ले रहा पुनर्जन्म..!

कोई खुशियों की सल्तनत का मालिक,
किसी की गरीबी में आँखें नम..!

सभी जी रहे हैं अपनी अपनी खुशियों में,
बस परेशानियों में मर रहे हैं हम..!

कोई चरित्र में गहराई रखता,
किसी का व्यवहार बेहद कम..!

©SHIVA KANT(Shayar)
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