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भाग-१ ....हम संसाधन का हिस्सा हैं...... ‘’ मानव अग

भाग-१ ....हम संसाधन का हिस्सा हैं......
‘’ मानव अगर अपने शरीर के हिस्सेु के समान संसाधनों की रक्षा व सद्उपयोग करें, तो किसी प्रकार की आपदा या किसी संकट का सामना ना करना पड़ें ‘’ । मनुष्यस अपने विकास में सभी बाते भूल गया हैं अत: जिसके लिए उक्त  पंक्तियॉं कही गयी हैं:- 
हम संसाधन का हिस्सा  हैं
बन गयी प्रकृति हँसी का किस्सां हैं
मानव का जीवन टीका पूरा इसमें
अत्याधिक दोहन से पड़ा खतरे में जिसमें

मकान-मकान के जंगल पेड़ो की छाया गुम हैं
लाईटो की रोशनी उजागर जगह दीयों की बात्तियॉं गुम हैं
समुद्र नादियों में पानी मछलियों की जगह प्ला स्टिक और मलमल हैं
जानवरो से डरता मनुष्यन लेकिन उसकी जगह लेता मनुष्यऔ हर पल हैं

तारो की टिमटिमाहट जगह फटाको की जगमगाहट हैं
थकान भरी जिदंगी में सुकुन की हवा में प्रदूषण की तनाहट हैं
गॉंव की उन पगड्डियों गायब बैलगाडियों की खनखनाहट
अब सीमेंट की सड़कों में मशीनी गाडियों की आहट हैं

©Rishika ishita【 Dil ki bat】 भाग2कविता का आप इंतजार करें
 हम संसाधन का हिस्सा हैं

‘’ मानव अगर अपने शरीर के हिस्सेु के समान संसाधनों की रक्षा व सद्उपयोग करें, तो किसी प्रकार की आपदा या किसी संकट का सामना ना करना पड़ें ‘’ । मनुष्यस अपने विकास में सभी बाते भूल गया हैं अत: जिसके लिए उक्त  पंक्तियॉं कही गयी हैं:- 

हम संसाधन का हिस्सा  हैं
बन गयी प्रकृति हँसी का किस्सां हैं
मानव का जीवन टीका पूरा इसमें
भाग-१ ....हम संसाधन का हिस्सा हैं......
‘’ मानव अगर अपने शरीर के हिस्सेु के समान संसाधनों की रक्षा व सद्उपयोग करें, तो किसी प्रकार की आपदा या किसी संकट का सामना ना करना पड़ें ‘’ । मनुष्यस अपने विकास में सभी बाते भूल गया हैं अत: जिसके लिए उक्त  पंक्तियॉं कही गयी हैं:- 
हम संसाधन का हिस्सा  हैं
बन गयी प्रकृति हँसी का किस्सां हैं
मानव का जीवन टीका पूरा इसमें
अत्याधिक दोहन से पड़ा खतरे में जिसमें

मकान-मकान के जंगल पेड़ो की छाया गुम हैं
लाईटो की रोशनी उजागर जगह दीयों की बात्तियॉं गुम हैं
समुद्र नादियों में पानी मछलियों की जगह प्ला स्टिक और मलमल हैं
जानवरो से डरता मनुष्यन लेकिन उसकी जगह लेता मनुष्यऔ हर पल हैं

तारो की टिमटिमाहट जगह फटाको की जगमगाहट हैं
थकान भरी जिदंगी में सुकुन की हवा में प्रदूषण की तनाहट हैं
गॉंव की उन पगड्डियों गायब बैलगाडियों की खनखनाहट
अब सीमेंट की सड़कों में मशीनी गाडियों की आहट हैं

©Rishika ishita【 Dil ki bat】 भाग2कविता का आप इंतजार करें
 हम संसाधन का हिस्सा हैं

‘’ मानव अगर अपने शरीर के हिस्सेु के समान संसाधनों की रक्षा व सद्उपयोग करें, तो किसी प्रकार की आपदा या किसी संकट का सामना ना करना पड़ें ‘’ । मनुष्यस अपने विकास में सभी बाते भूल गया हैं अत: जिसके लिए उक्त  पंक्तियॉं कही गयी हैं:- 

हम संसाधन का हिस्सा  हैं
बन गयी प्रकृति हँसी का किस्सां हैं
मानव का जीवन टीका पूरा इसमें