White गाय के खुरों से उड़ती धूल जैसे आसमान घेर लेती हैं गौधुली बेला में तुम्हारी स्मृतियाँ मुझको घेर लेती हैं सूर्यास्त के समय जब हल्का अंधकार होता है तुम्हारी स्मृतियाँ भागती हुई मेरे पास आ जाती हैं न जाने क्यों ये हृदय देह का संचालन नही कर पाता है बुझते हुए लौ की भांति मेरी अवस्था हो जाती है ये मन का कहीं न लग पाना,तुम्हारी स्मृतियों बार बार आ जाना ठहरे हुए सागर में,नदियों सी हलचल मचा जाती है। ©Richa Dhar #GoodMorning स्मृति