ख़र्च कर दिया ख़ुद को मैंने, बस इक तुमको पाने को तुम ख्वाहिश पाले बैठे हो, ये इश्क़ मेरा आज़माने को मैं करता रहा नज़रअंदाज़, अब तलक खतायें तुम्हारी तुम बताते रहें खामियां मेरी , इस संगदिल ज़माने को गुनेहगार मैं था मान लिया, तुम्हारी रूह तो पाक थी ना फिर बोलो क्या नाम दे, तुम्हारे किये हर इक बहाने को चलो ये किस्सा मुहब्बत का, दफन कर लेते हैं सीने में वैसे भी अब बाकी ना रहा, कुछ कहने और सुनाने को !! क्या हासिल करने के लिए ख़र्च कर दिया ख़ुद को। #ख़र्चकरदिया #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #अनकहेअल्फ़ाज़ #yqhindishayari #yqhindiwriters #yqurdushayri