ना जाने क्यों जिंदगी अब बोझ सी लग रही है, दिन और रात खामोश सी लग रही है, उधार मांग कर यहां मैं बसर कर रहा हूँ, दुनिया अब उदासीन सी हो गई है, ना जाने क्यों जिंदगी अब बोझ सी लग रही है, नि:स्वार्थ अब कुछ नहीं है, सब मतलबी हो गए हैं, प्यार के छलावे से खुद को ढक रहे हैं, दो-चार लोगों का साथ भी खाक हो चला है, दुनिया ही बेगानी सी हो गई है ना जाने क्यों जिंदगी अब बोझ सी लग रही है, प्यार पाने की लालसा में, साथ पाने की लालसा में, दुत्कार अब मिल रही है, बदल गया हूँ मैं, या मेरी किस्मत? अब हर पल दुनिया बेगानी सी लग रही है, ना जाने क्यों जिंदगी अब बोझ सी लग रही है, दुनिया बेगानी