साथ- साथ ही बड़े हुए हम, हम व्यस्त माता- पिता से , अब कुछ खाली दम्पत्ति हो गए। जिस तरह चहकता है घोसला, जब नन्हे दाना चुगते हैं, नित घर में चीं- चीं होती थी। अब शान्त रहता है घर- आँगन, मन में साथ बिताए पल हलचल करते हैं, आवाज़ें बस फोन से सुन हम खुश होते हैं। पर खलिश ज़रा भी नहीं मन में, तुझे कामयाब होता देख, खुशी की लहर उठती है मन में।। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1065 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।