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White घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान, जहाँ उड

White घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान,
जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान।

छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग,
वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग।

बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव,
माँ की पुकारें भी तब, सुनाई नहीं देतीं, मानो खो जाएँ।

रात में तारे गिनना, और चाँद से बातें करना,
उस छत पर बैठकर, दुनिया को भूल जाना।

छत पर खेलते खेल, वो हँसी और शोर,
बचपन की वो छत ही थी, जो करती थी दिल को चोर।

आज भी जब छत पर जाऊँ, वही अहसास जगता है,
बचपन का वो मासूमपन, फिर से दिल में बसता है।

©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora 
Date:- 07/10/2024
White घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान,
जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान।

छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग,
वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग।

बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव,
माँ की पुकारें भी तब, सुनाई नहीं देतीं, मानो खो जाएँ।

रात में तारे गिनना, और चाँद से बातें करना,
उस छत पर बैठकर, दुनिया को भूल जाना।

छत पर खेलते खेल, वो हँसी और शोर,
बचपन की वो छत ही थी, जो करती थी दिल को चोर।

आज भी जब छत पर जाऊँ, वही अहसास जगता है,
बचपन का वो मासूमपन, फिर से दिल में बसता है।

©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora 
Date:- 07/10/2024