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तपती धूप, पसीना ,पानी। घर चलाने मे बिक गई जवानी। "

तपती धूप, पसीना ,पानी।
घर चलाने मे बिक गई जवानी।
"बसा-बना सबको" वो सोचा,
"बैठू मैं भी मान से"।
किया क्या है इसने आजतक
सब सुनाने लगे शान से।

बिना जिसके चुल्हा तक न जलता था।
घर चलाने को पल-पल जो मरता था।

सुन यह बात काप गया शरीर,
मगर मरा नही उसका जागीर।
छोटे-छोटे बच्चे थे उसके,
फिर थामी उसने शमशीर।

देख बच्चे को अपने,
हिम्मत जुटा आवाज उठाई।
ऑखे  मे आशु आ जाते,
देते देते उसे सफाई।

अब खुदा तेरी बारी,
करनी होगी तुझे सुनवाई।। #big_brother
तपती धूप, पसीना ,पानी।
घर चलाने मे बिक गई जवानी।
"बसा-बना सबको" वो सोचा,
"बैठू मैं भी मान से"।
किया क्या है इसने आजतक
सब सुनाने लगे शान से।

बिना जिसके चुल्हा तक न जलता था।
घर चलाने को पल-पल जो मरता था।

सुन यह बात काप गया शरीर,
मगर मरा नही उसका जागीर।
छोटे-छोटे बच्चे थे उसके,
फिर थामी उसने शमशीर।

देख बच्चे को अपने,
हिम्मत जुटा आवाज उठाई।
ऑखे  मे आशु आ जाते,
देते देते उसे सफाई।

अब खुदा तेरी बारी,
करनी होगी तुझे सुनवाई।। #big_brother