छोड़ कर घर-द्वार मत जा आश के उस पार मत जा राग मत बैराग से कर नेह को यूँ हार मत जा घर बिना तेरे यकायक हो गया खंडहर देख ले इक बार तो मुड़कर विश्व को रौशन बनाने के लिए सूरज बहुत है बाहरी दीवार पर उजियार की सजधज बहुत है घर समूचा डूब जाता है अंधेरे में तेरे बिन इस अभागी देहरी को सिर्फ़ तेरी रज बहुत है घर में अंधियारा भरा है, दीप है बाहर देख ले इक बार तो मुड़कर #latenightquote #randomquote #mankibat #jazbat #khyal #alfaz