मानव जीवन में सुख और दुख दोनों का मिश्रण होता है सुख के अवस्था में मनुष्य उसके मध्य में उन्मुक्त रहता है तो दुख क्या जरा सी दस्तक के बाद की कहानी पर विवेचना में जुट जाता है यह सच है कि सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं दोनों ही मनुष्य की अनुभूति का परिणाम है ©Ek villain सुख और दुख का निवारण