भूली बिसरी एक कहानी, याद आती है सावन की झड़ी में, कि ऐसी ही एक बरसात की रात, मिली थी मैं एक 'जाने पहचाने' अजनबी को (कैप्शन में पढ़े) भूली बिसरी एक कहानी,याद आती है सावन की झड़ी में, कि ऐसी ही एक बरसात की रात, मिली थी मैं एक 'जाने पहचाने' अजनबी को चुपचाप सा रहता था जो सबसे,उस रात दिल खोल बैठा था वो, उसकी बातों में न जाने क्या था असर, भुला बैठी मैं भी हर ग़म को लाखों चाहने वाले थे जिसके,आज बैठा था मेरे क़रीब वो, हाथ पकड़,कविताएं सुनाता, चुटकी लेता..मुझे होश में लाने को