"इक्कीसवीं सदी का भारत" आज भारत की बेबस तस्वीर, सूनी सड़कों पर रो रही हैं। हे भारत माता, तेरी सरकार आज आँखे खोल कर सो रही हैं। ये कैसा करुण दृश्य माँ, आज तेरे आँचल से झलक रहा हैं। वो अन्नदाता, वो धरती पुत्र, आज दाने के लिए बिलख रहा हैं। 21वीं सदी के नये भारत की नई सुबह, अंधकार से होती हैं। जनता के जख्मों को देख कर, ये सरकार आँखे खोल कर सोती हैं। कल की देवी, माता स्वरूपा नारी, आज कोठे पर यूँ बिकती हैं। एक कोठे की आड़ में न जाने कितनों की रोटी सिकती हैं। 21वीं सदी की ये झांकी चीख चीख कर सबसे कहती हैं। नंगी गरीबी और बेरोजगारी क्यूँ सड़कों पर ऐसे लेटी हैं। आज भारत की बेबस तस्वीर, सूनी सड़कों पर रो रही हैं। हे भारत माता, तेरी सरकार आज आँखे खोल कर सो रही हैं। #मोनिका वर्मा ©Monika verma #21वीं_सदी #21वीं_सदी_का_भारत