सुन उद्धव येहिं सँदेश हमारु, कहौ उस नन्दकुमार से जाकर। हम जानत नाहिं अनेक विवेक सयानप, प्रीत के मारगु आकर। हम पातकि दीन-मलीन महा, भगजोगिनि से प्रभु आप दिवाकर। कह केशव से, चह नीच-निलज्ज, कछू समझौ हम बाकेहि चाकर। ©गणेश #सवैया भगजोगिनि=जुगनू