ये मासूमियत उलझी हुई सी तेरे बालों में गहराइयां जो डुबोती हैं मुझको तेरी आंखों में एक इत्र सा महकता है इन सांसों में मैं हर दफा घुलता जाता हूं जिसकी बाहों में मुख्तसर है ये साथ इन हवाओं का उम्र भर की कहानियां है ख्वाबों में तुम हो की नही फकत नहीं हूं मैं इसमे कुछ सितारे हैं जो चमकते इन निगाहों में कुछ किस्से अधूरे से उंगलियों में लपेट के जब चूमता हूं आंखों को आंखों से देख के मुकम्मल से लगते हैं कुछ ख्वाब ख्वाबों में ख्वाबों को देख के ©Rakesh Aryan #Kaarya #kavita #rakesharyanpoetry #rakeshkumarpoetry #ghazal #poem #tum A.s.🖋️ 📒 ✍..Parth Mishra saumya Jain ✍..Parth Mishra