जड़ों में ऐसा मट्ठा डाला, हरियाली पेड की ढल गयी, नफ़रत की आग ऐसी भडकी , सारी दिल्ली जल गयी , अपना सब कुछ फ़ूँक-फ़ांक कर चैन मिले तो सोचना तुम्हारी दुकान जल गयी, पर उनकी दुकान तो चल गयी विकास शर्मा # delhi violence # delhi be brave