समझौता कर लेते है हम रोजमर्रा की समस्याओं से, जेब काटती मंहगाई से, तो कभी नुक्कड़ से संसद तक फैले भ्रष्टाचार.. समस्या तो यही है कि समझौता कर लेते हैं हम.. पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़े 🙏 समझौता कर लेते है हम रोजमर्रा की समस्याओं से, जेब काटती मंहगाई से, तो कभी नुक्कड़ से संसद तक फैले भ्रष्टाचार से समझौता कर लेते हैं हम.. समझौता कर लेते हैं हम कभी बाढ़ कभी सूखे की मारों से,