वो पेड़ो पर बैठी चिड़िया, उस वृक्ष को निहारती रही क्यों वो पत्ते पल भर में सूख गए या वर्षो बाद वह अपने घर आई है किसने उजाड़ दिया ये घर उसका किसने देकर आसमा, छीन लिया जहां उसका उस पेड़ तले अब छांव नही उन पंखों में अब उड़ान नहीं वो सहमी , असमंजस में बैठी हुई वो कहा जाए ये कहती हुई क्यों आखों में उसके पानी है क्यों गला उसका सूखा हुआ किसने छीने ख्वाब उसके क्यों मन उसका रूठा हुआ जिस डाली पर बैठी वो ,क्यों वो डाल भी टूट गई मन को तो वह मार चुकी थी अब तन भी हुआ मृत उसका।। ©Tanya Dubey चिड़िया