देख रहे हो राह और कर रहे हो विलाप, कहीं ये स्वांस न हो अंतिम, देह का घट रहा ताप, जल की सीतलता और अग्नि के तपस का हूँ संगम, और सोचते हो कि किस कर्म का श्राप हूँ? 1/3 #hindipoetry #hindi #question #india #philosophy