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देख रहे हो राह और कर रहे हो विलाप, कहीं ये स्वांस

देख रहे हो राह और कर रहे हो विलाप,
कहीं ये स्वांस न हो अंतिम, देह का घट रहा ताप,
जल की सीतलता और अग्नि के तपस का हूँ संगम,
और सोचते हो कि किस कर्म का श्राप हूँ?

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 #hindipoetry #hindi #question #india #philosophy
देख रहे हो राह और कर रहे हो विलाप,
कहीं ये स्वांस न हो अंतिम, देह का घट रहा ताप,
जल की सीतलता और अग्नि के तपस का हूँ संगम,
और सोचते हो कि किस कर्म का श्राप हूँ?

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