बढ़ मुसाफ़िर बढ़ता जा, बढ़ मुसाफ़िर बढ़ता जा, बढ़ मुसाफ़िर बढ़ता जा, बढ़ मुसाफ़िर बढ़ता जा, बनाके ख़ुद को हिमालय सा, बनाके ख़ुद को अटल शिला सा, नील गगन में तू उड़ता जा, बनके सूरज तू जलता जा, बढ़ मुसाफ़िर बढ़ता जा, बढ़ मुसाफ़िर बढ़ता जा, बढ़ मुसाफ़िर बढ़ता जा, बढ़ मुसाफ़िर बढ़ता जा, निराशा को आशा से मार, मन में भरके गंगा धार, विजय पथ पे तू बढ़ता जा, अमन पथ पे तू बढ़ता जा, बढ़ मुसाफ़िर बढ़ता जा, बढ़ मुसाफ़िर बढ़ता जा, बढ़ मुसाफ़िर बढ़ता जा, बढ़ मुसाफ़िर बढ़ता जा #कविमनीष #NojotoQuote #कविमनीष