आजकल युवा केवल दुसरो को अनुसरण कर रहै है उनमें कोई नयापन नही । क्या हो गया है भारत के नौजवानों को , क्या उनकी चिंतन शक्ति इतनी क्षीण हो गयी है । युवा हो तो युवा की परिभाषा को सार्थक करो अपने मे नयापन लाओ रचनाओ में नयापन लाओ।