मैंने काफीलो को शमशान बनते हुये देखा, जानने वालों को अनजान बनते हुये देखा। हद तो तब हुई साहब जब, मैंने अपनों को बैग़ाना बनते हुये देखा!! #Rahulbanait #मैंने_अपनो_को_बैग़ाना_बनते_हुये_देखा